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Showing posts from June, 2020

नशे से नुकसान और नशे से छुटकारा

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नशा एक अभिशाप : क्या इससे छुटकारा पाया जा सकता है ? नमस्कार दोस्तों आप सभी जानते हैं आज हमारे समाज के लिए नशा एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है जो कि युवाओं का न तो आगे बढ़ने देता है और ना ही उन्हें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित होने देता है। जिस वजह से आज नशे को एक अभिशाप माना जा रहा है   Intoxication is a sin  तालिका नशा क्या है ? नशे से नुकसान विश्व स्तर पर 'नशा निरोध दिवस' की शुरुआत 'नशा निरोधक दिवस'मनाने के उद्देश्य 'नशा निरोधक दिवस'की थीम:2020 नशे से छुटकारे के लिए अपनाए जा रहे तरिके क्या आध्यात्मिकता को अपनाने पर नशे से  छुटकारा पाया जा सकता है ? नशा क्या है ?  नशा एक ऐसी खतरनाक लत है जो इंसान का जीवन नर्क बना देती है जो इंसान नशा करता है उसे पता ही नहीं होता वह क्या कर रहा है परन्तु नशा व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से बर्बाद कर देता है वर्तमान समय में नशे के लिए नशीले पदार्थ मौजूद हैं जिनमें हीरोइन जिसे ड्रग्स की रानी कहा जाता है ,कोकीन गांजा एलआईसी स्पीडबॉल, एसडीएमएन ,शराब आदि सभी नशे में सम्...

Krishna Janmashtami

Shri Krishna          Krishna is the avatar of the god Vishnu. He was born in Mathura, Uttar Pradesh to Queen Devki and her husband King Vasudeva. He is a popular god among the Indian people due to his attractive divine activities. He had done many Leelas in his life. He had killed many demons.               janmashtami Celebration Shri Krishna's birth is celebrated as an annual Hindu festival. It is celebrated on the Ashtami (eighth day) of Krishna paksha (dark fortnight) in Shraavana month or Bhandra (According to the Hindu calendar, there is a leap month once every three years). Janmashtami is celebrated by fasting. But in Geeta Adhyay no. 6 Shlok no.16, it is explained that this bhakti is neither successful of a person who eats too much, nor of a person who does not eat at all, i.e., who keeps fasts, nor of a person who sleeps too much and nor of a person who always keeps awake.        ...

संतों की वाणी

क्या आपको पता है कि जिन संतों को परमात्मा मिले हैं उन्होंने परमात्मा के बारे में क्या कहा है? गुरु नानक जी , गरीब दास साहेब, दादू साहिब, मीराबाई इन सभी को परमात्मा मिले हैं और जब इन सभी संतों की वाणी को खंगाला तो पाया कि इन सभी संतों ने अपनी वाणी के माध्यम से बताया कि  पूर्ण परमात्मा कौन है? और वह कहां रहते हैं ? और उनकी लीला किस प्रकार की होती है ? इन सभी प्रश्नों के जवाब मुझे तब मिले जब मैंने उन सभी संतों की वाणी को पढ़ा और पाया कबीर जी ही पूर्ण परमात्मा है। आइए ‌ इन सभी संतों की वाणियों को देखते हैं👉👇 दादू जी की वाणी👇👇👇 जिन मोकू निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार  दादू दूसरा कोई नहीं ,कबीर सिरजनहार।। मलूक दास जी की वाणी दास मलूक सलूक कहत,खोजो कसम कबीर। गुरु नानक जी की वाणी  हक्का कबीर करीम तू ,बेएब परवरदिगार । नानक बुगोयद तनु तुला, तेरे चाकरां पाखाक"।। इस प्रकार इन सभी संतों की वाणी से स्पष्ट है कि कबीर साहिब ही पूर्ण परमात्मा है 🙏 अधिक जानकारी के लिए साधना चैनल पर शाम को 7:30 से 8:30 तक सत्संग जरूर सुने।

पूर्ण परमात्मा की पहचान

क्या आप जानते हैं कि🤔 पूर्ण परमात्मा की क्या पहचान होती है? ऋग्वेद के मंडल नंबर 9 के सूक्त 1के मंत्र 9 में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा जब अपना दूसरा रूप धारण करके पृथ्वी पर आते हैं तब वह किसी मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते  बल्कि वह स्वयं बालक के रूप में प्रकट होते हैं। उनका लालन-पालन कुंवारी गायों के दूध से होता है इस बात का प्रमाण ऋग्वेद में मिलता है जब कबीर सागर के अध्याय ज्ञान सागर के पेज 74 पर देखा तो पाय कबीर जी लहरतारा तालाब पर कमल के पुष्प पर प्रकट हुए थे , और उनके लालन-पालन भी कुंवारी गायों के दूध से ही हुआ था। अधिक जानकारी के लिए साधना चैनल पर शाम को 7:30 से 8:30 तक सत्संग जरूर सुनें।

कबीर लीलाएं

मगहर लीला कबीर परमात्मा ने बहुत सारी लीला करी है उनमें से कुछ लीला इस प्रकार हैं  मगहर रियासत के अकाल प्रभावित स्थान में गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरुष भी बारिश करवाने में नाकाम रहे थे। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने वहां दस मिनट में बारिश करवाकर दिखा दी थी और साबित कर दिया कि वही जगत पालनहार हैं। कभी परमात्मा द्वारा मगहर में शरीर त्यागना कबीर परमात्मा ने अपना शरीर मगहर में त्यागा उनका मगहर में शरीर त्यागने का उद्देश्य यह था कि उस समय पर यह भ्रम था कि मगर में शरीर त्यागने वाला गधा बनता है और काशी में मरने वाला स्वर्ग में जाता है कबीर परमात्मा इस भ्रम का निवारण करना चाहते थे इसलिए वह काशी से मगहर की ओर चल पड़े उस समय कबीर परमात्मा के हिंदू व मुस्लिम दोनों ही शिष्य थे हिंदू चाहते थे कि कबीर जी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार हो और मुस्लिम चाहते थे कि मुस्लिम रीति रिवाजों के अनुसार कबीर परमात्मा कहते थे कि शरीर का क्या है या तो जला दो या गाड़ दो। कबीर जी ने कहा कि एक चादर नीचे बिछा दो और एक चादर मेरे शरीर के ऊपर डाल दो और जब मैं चला जाऊं तब जो भी मेरे इस चादर के नीचे मि...