कबीर लीलाएं
मगहर लीला
कबीर परमात्मा ने बहुत सारी लीला करी है उनमें से कुछ लीला इस प्रकार हैं
मगहर रियासत के अकाल प्रभावित स्थान में गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरुष भी बारिश करवाने में नाकाम रहे थे। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने वहां दस मिनट में बारिश करवाकर दिखा दी थी और साबित कर दिया कि वही जगत पालनहार हैं।
कभी परमात्मा द्वारा मगहर में शरीर त्यागना
कबीर परमात्मा ने अपना शरीर मगहर में त्यागा उनका मगहर में शरीर त्यागने का उद्देश्य यह था कि उस समय पर यह भ्रम था कि मगर में शरीर त्यागने वाला गधा बनता है और काशी में मरने वाला स्वर्ग में जाता है कबीर परमात्मा इस भ्रम का निवारण करना चाहते थे इसलिए वह काशी से मगहर की ओर चल पड़े उस समय कबीर परमात्मा के हिंदू व मुस्लिम दोनों ही शिष्य थे हिंदू चाहते थे कि कबीर जी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार हो और मुस्लिम चाहते थे कि मुस्लिम रीति रिवाजों के अनुसार कबीर परमात्मा कहते थे कि शरीर का क्या है या तो जला दो या गाड़ दो। कबीर जी ने कहा कि एक चादर नीचे बिछा दो और एक चादर मेरे शरीर के ऊपर डाल दो और जब मैं चला जाऊं तब जो भी मेरे इस चादर के नीचे मिले उसे आधा- आधा बांट लेना, झगड़ा मत करना जब चादर हटाकर देखा तो कबीर जी का शरीर उन्हें नहीं मिला उन्हें शरीर के स्थान पर सुगंधित पुष्प मिले और कबीर जी आकाश में उड़ कर जा रहे थे और कबीर जी ने आकाश में से आकाशवाणी करी कि मैं तो सतलोक जा रहा हूं अब तुम्हे यहां पर प्यार से रहकर भक्ति करनी है उसी समय हिंदू- मुस्लिम एक दूसरे से गले लग कर इस प्रकार रोने लगे जैसे किसी की माता मर जाती हो और हिंदू व मुस्लिमों में प्यार बना रहा इस प्रकार कबीर परमात्मा ने अपने ज्ञान से हिंदू और मुस्लिम के झगड़े को भी खत्म किया और मगहर में मरने पर गधा बनते हैं इस बात का भी भ्रम निवारण किया ।
अधिक जानकारी के लिए साधना चैनल पर शाम 7:30 से 8:30 सत्संग जरूर सुने
कबीर परमात्मा ने बहुत सारी लीला करी है उनमें से कुछ लीला इस प्रकार हैं
मगहर रियासत के अकाल प्रभावित स्थान में गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरुष भी बारिश करवाने में नाकाम रहे थे। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने वहां दस मिनट में बारिश करवाकर दिखा दी थी और साबित कर दिया कि वही जगत पालनहार हैं।
कभी परमात्मा द्वारा मगहर में शरीर त्यागना
कबीर परमात्मा ने अपना शरीर मगहर में त्यागा उनका मगहर में शरीर त्यागने का उद्देश्य यह था कि उस समय पर यह भ्रम था कि मगर में शरीर त्यागने वाला गधा बनता है और काशी में मरने वाला स्वर्ग में जाता है कबीर परमात्मा इस भ्रम का निवारण करना चाहते थे इसलिए वह काशी से मगहर की ओर चल पड़े उस समय कबीर परमात्मा के हिंदू व मुस्लिम दोनों ही शिष्य थे हिंदू चाहते थे कि कबीर जी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार हो और मुस्लिम चाहते थे कि मुस्लिम रीति रिवाजों के अनुसार कबीर परमात्मा कहते थे कि शरीर का क्या है या तो जला दो या गाड़ दो। कबीर जी ने कहा कि एक चादर नीचे बिछा दो और एक चादर मेरे शरीर के ऊपर डाल दो और जब मैं चला जाऊं तब जो भी मेरे इस चादर के नीचे मिले उसे आधा- आधा बांट लेना, झगड़ा मत करना जब चादर हटाकर देखा तो कबीर जी का शरीर उन्हें नहीं मिला उन्हें शरीर के स्थान पर सुगंधित पुष्प मिले और कबीर जी आकाश में उड़ कर जा रहे थे और कबीर जी ने आकाश में से आकाशवाणी करी कि मैं तो सतलोक जा रहा हूं अब तुम्हे यहां पर प्यार से रहकर भक्ति करनी है उसी समय हिंदू- मुस्लिम एक दूसरे से गले लग कर इस प्रकार रोने लगे जैसे किसी की माता मर जाती हो और हिंदू व मुस्लिमों में प्यार बना रहा इस प्रकार कबीर परमात्मा ने अपने ज्ञान से हिंदू और मुस्लिम के झगड़े को भी खत्म किया और मगहर में मरने पर गधा बनते हैं इस बात का भी भ्रम निवारण किया ।
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