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Showing posts from July, 2020

बकरा ईद कितना सबाब देती है?

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बकरा ईद कब मनाई जाती है ईद अल-फितर रमजान के अंत में मनाया जाता है (दिन के उजाले के घंटों के दौरान उपवास का एक महीना), और मुसलमान इस अवसर पर जकात (दान) का कार्य कर सकते हैं, जो नए महीने की शुरुआत के महीने में शुरू होने के बाद शुरू होता है।    जश्न 1 शाल की सुबह की नमाज के साथ शुरू होता है, इसके बाद नाश्ते और अक्सर पूरे दिन जश्न मनाया जाता है।                         बकरा ईद पर छुटि्टया इस्लाम में दो आधिकारिक छुट्टियां हैं, ईद अल-फितर और ईद अल-अधा।  दोनों छुट्टियां चंद्र इस्लामी कैलेंडर में तिथियों पर होती हैं, जो सौर आधारित ग्रेगोरियन कैलेंडर से अलग होती है, इसलिए उन्हें हर साल अलग-अलग ग्रेगोरियन तारीखों पर मनाया जाता है।  नोट और त्योहारों के अन्य दिनों की एक संख्या है, सभी मुसलमानों के लिए कुछ सामान्य है, एक पूरे या शाखाओं के रूप में शिया इस्लाम के लिए विशिष्ट है।               बकरा ईद कैसे मनाई जाती है  बकरा ईद के दिन मुसलमान सुबह जल्दी उठकर ...

नशा करना तेजी से क्यों फैलता है ‌?

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तालिका   नशा करने वाले की पहचान नशा क्यों करते हैं ? नशा मुक्त भारत का सपना नशे की लत: ऐसे पा सकते हैं मुक्ति नशा करने वाले की पहचान    नशा करने वालों की पहचान करना बहुत जरूरी है अगर इनका सही समय पर  पता नहीं चले तो यह बहुत ज्यादा नशा करने के आदी हो जाते हैं, इसलिए शुरुआत में ही इनका पता लगा लेना जरूरी है।   नशा करने वाले का पता लगाने के लिए कुछ बिन्दु निम्न प्रकार हैं- व्यवहार में परिवर्तन होना व  चिड़चिड़ापन बढ़ना।           जेबखर्ची की जरूरत ज्यादा होने।                      बड़ों की बात ना मानना, बातें अनसुनी करना।     जो व्यक्ति नशा करता है वह ज्यादा समय ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है।                            नशीले पदार्थों की बदबू को छुपाने के है लिए चिंव्गम,  चॉकलेट,पतासी इत्यादि का सेवन  अधिक करना।        ...

क्या दहेज उचित है ?

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दहेज प्रथा एक अभिशाप हमारे समाज में कुप्रथाएं हमें देखने को मिलती है। सती प्रथा जैसी कुप्रथा ओं का तो अंत हो गया  लेकिन कई कुप्रथा ऐसी है जो वर्तमान समय में भी विद्यमान हैं उनमें से दहेज प्रथा बहुत ही ज्यादा खतरनाक है जो जो कि शिक्षित समाज के अंदर भी पाई जा रही हैं ।दहेज प्रथा नें अपना इतना विकराल रूप बना लिया है कि बेटी के जन्म पर भी एक माता पिता को विचार करना पड़ता है और  बेटी के विवाह के चिंता सताने लगती है जिस कारण से  हमारे समाज के लिए दहेज प्रथा को अभिशाप माना जा रहा है। तालिका दहेज प्रथा क्या है? दहेज प्रथा का दुष्परिणाम सरकार द्वारा उठाया गया कदम: दहेज निषेध अधिनियम दहेज प्रथा का समाधान एक महान संत की दहेज प्रथा को जड़ से खत्म करने में अहम भूमिका दहेज प्रथा क्या हैं? दहेज  ऐसी लेनदेन हैं जो विवाह के अवसर पर वधू पक्ष से ली जाती है जिसे अनेक तरीकों से दिया जाता है गहनों के रूप में सामग्री के रूप में और पैसों के रूप में ।  दहेज प्रथा दहेज प्रथा का दुष्परिणाम लड़कियों की हत्या -  दहेज प्रथा ने वर्तमान समय में इतना विक...